भूख, निराशा, बेकारी का कटता जाए हर बन्धन। गायक ऐसा गीत सुनाओ जग में आप परिवर्तन॥
सुख की सरिता का स्वर कंपित, दुख के हा-हाकारों से, बेसुध दुल्हिन, राह भयानक, डोली डरी कहारों से, अंधियारों में डूब चुकी है, नव उषा की किरण-किरण। गायक ऐसा गीत सुनाओ, जग में आए परिवर्तन॥
मानव भूल गया अपने को, संयम वृत, सत् ज्ञान नहीं, आज आदमी कुछ भी हो पर, वह तो है इन्सान नहीं, वर्तमान बनता जाता है, अब भविष्य का उत्पीड़न। गायक ऐसा गीत सुनाओ, जग में आए परिवर्तन॥
पुण्य पल्लवित, पुष्प गन्धमय, आज कलुष के हाथ बिका, अटका, भटका भ्रष्ट पथिक-सा भ्रांति शिखर के साथ टिका, आज गुँजाओ कुछ ऐसे स्वर, मानव समझे अपनापन। गायक ऐसा गीत सुनाओ, जग में आए परिवर्तन॥
चिन्ता बनी चिता, दाहक पल, युग पर परते स्याही की, हम पर ही क्या संततियों पर, गहरी चोट तबाही की, बहुत हुआ अभिशप्त अभी तक दुखिता धरती का आंगन। गायक ऐमा गीत सुनाओ, जग में आए परिवर्तन॥
-ताराचन्द पाल 'बेकल' देहरादून, 1-5-60 |