सरस दरस की दिवाली मान आजम खाँ, राजत मनोज की निकाई निदरत हैं। जगर मगर दिसा दीपन सो कर राखी, तिनै पेखि दुजन पतंग पजरत हैं। छूटत छबीली हथ-फूलन कों बृंद तामें, ताकी दुति देखि हिये आनंद भरत हैं। सो छबि अनंद मानों पावक प्रताप तरु, फूल्यो ताकै चहुंघा तै फूल ये झरत हैं॥
-सोमनाथ (ससिनाथ) [सोमनाथ ग्रंथावली, प्रथम खंड (पृष्ठ 832) संपादक : सुधाकर पांडेय, नागरीप्रचारिणी सभा वाराणसी]
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