मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
दिवाली वर्णन  (काव्य)  Click to print this content  
Author:सोमनाथ

सरस दरस की दिवाली मान आजम खाँ,
राजत मनोज की निकाई निदरत हैं।
जगर मगर दिसा दीपन सो कर राखी,
तिनै पेखि दुजन पतंग पजरत हैं।
छूटत छबीली हथ-फूलन कों बृंद तामें,
ताकी दुति देखि हिये आनंद भरत हैं।
सो छबि अनंद मानों पावक प्रताप तरु,
फूल्यो ताकै चहुंघा तै फूल ये झरत हैं॥

-सोमनाथ (ससिनाथ)
[सोमनाथ ग्रंथावली, प्रथम खंड (पृष्ठ 832) संपादक : सुधाकर पांडेय, नागरीप्रचारिणी सभा वाराणसी]

 

Previous Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश