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"जो नहीं हैं मेरी बात से सहमत,वे हाथ उठाकर सहमति दें अपनीकि, हाँ नहीं हैं वे सहमत।"
मेरी इस अपील पर सभागार में छा गया सन्नाटा।
मैंने देखा,धीरे-धीरे उठा रहा हूँ मैं अपना हाथ।
- चरणसिंह अमी [अपूर्व अचम्भे की तरह]
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