(एक लड़की जो पढ़ना चाहती है पर माँ के साथ बर्तन सफाई के काम करने पर मजबूर है)
![Vo Padhna Chahati Hai Vo Padhna Chahati Hai](../news_images/vo-padhna-chahti-hai.png)
चाह हैं पढ़ने की पर पढ़ नहीं पाती हूँ। जब भी पढ़ना चाहती हूँ काम में फँस जाती हूँ। माँ की डॉट जब सुनती हूँ, बस्ता छोड़ काम में लग जाती हूँ। एक घर, दो घर, कई घरों का काम कर, थक कर चूर चूर हो जाती हूँ। चाह हैं पढ़ने की पर पढ़ नहीं पाती हूँ।
कभी कभी मन उड़ान लेता है, पढ़ कर कुछ बन जाने को, पर काम का बोझ मुझ पर, दबा देता है मेरे अरमानों को । छोटे भाई-बहनों की देखभाल और माँ के ऊपर का बोझ, एक झटके में ही, मोड़ देता है मेरे अरमानों को , चाह हैं पढ़ने की पर पढ़ नहीं पाती हूँ।
फिर सोचती हूँ कभी-कभी कि माँ की भी मजबूरी होगी । बिन वजह थोड़ा ही रोलेगी अपने प्यारो को, प्रण लेती हूँ आज मैं काबू कर लूंगी अपनी थकान को, कामकर और साथ ही पढ़कर पंख दूंगी अपनी उड़ान को।
--डॉ दीपिका ई-मेल: deep2581@yahoo.com
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