कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा। - हरिऔध।
 
व्यंग्य संकलन  (विविध)     
Author:भारत-दर्शन संकलन

हास्य-व्यंग्य संकलन -विविध व्यंग्यकारों की श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य रचनाओं का संकलन।

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