क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
 
कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है (काव्य)     
Author:डॉ. श्याम सखा श्याम

कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है
यही तो जिन्दगानी है,यही तो जिन्दगानी है

जमीं जबसे बनी यारो तभी से है वजूद इसका
नये अन्दाज दिखलाती मुहब्बत की कहानी है

मुझे लूटा है अपनो ने तुझे भी खा गये अपने
यही तेरी कहानी है यही मेरी कहानी है

खुशी से रह रहे थे हम मिले तुझसे नहीं जब तक
तुझे मिलकर हुआ ये दिल गमों की राजधानी है

रहे डरते सखा ताउम्र कुछ करने से पहले हम
हुये है मस्त कितने जब से छोड़ी सावधानी है

मुहब्बत छुपाने से कभी छुप पाई है यारो
उजागर हो ही जाती है मुहब्बत वो कहानी है

सदा सच बोलना दुश्मन बना लेना 'सखा' जी
कमी मुझमें मेरी अपनी नहीं खानदानी है

- डॉ. श्याम सखा श्याम

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