अजी! आज होली है आओ सभी। रंगो ख़ुद भी, सब को रंगाओ सभी॥
बिना रँग में बोरे, किसी को न छोड़ो; ख़ुशी मन से गावो बजावो सभी।
यही आज अवसर है, आपस में मिल कर; हृदय की बुराई नशाओ सभी।
नहीं भिन्नता दोस्त दुश्मन में मानो; गले एक एक को, लगाओ सभी।
पिओ प्रेम-प्याला, नशा इस तरह हो; झूमो ख़ुद भी, सब को झुमावो सभी।
बहुत दिन पर आयी है होली हमारी; हृदय की तपन को बुझावों सभी। अजी! आज होली है आओ सभी। रंगो ख़ुद भी, सब को रंगाओ सभी॥
- ललितकुमारसिंह 'नटवर'
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