खिली है हर कली-कली, महक उठी है हर गली। सुगंध उड़ के फूलों की, हवा के संग-संग चली। दिल ने कहा प्यार से, मिलिए इस बहार से।
चमक है हर हसीन पे, महक है गुलनशीन में। चहक रही है बाग़ में, बुलबुल भी अपने राग में। दिल ने कहा ....
बजा के ढोल पान-पान, मिला रहा है सुर-तान। सुहानी रात का समां, उस पर है रुत ये जवां। 'दिल ने कहा ....
बिखेर रोशनी की धार, आया है नया निखार। हर फूल तारा हो गया, अरे! क्या नज़ारा हो गया। दिल ने कहा ....
- सुभाष
2)
हम दो प्रेमी
तो संग नेहा लागे रे लागे, लागे रे मोहरे साजना। बिन तोहरे जीना मुश्किल, हो गयो रे मेरो बालमा।
तोहे देख के खो गए हम तो, नव -सपनों में बालमा। खोये हुए हैं हमरे स्वपन में, ये धरती और आसमाँ। तो संग ....
गौरी तोहरे नैन नशीले, नैन है या है चाक़ू रे। घायल कर दे मोहरा करेजवा, कातिल है ये चाक़ू रे। तोहरे नैन के ज़ख़्म से घायल, हो गयो रे तेरो बालमा। तो संग ....
तू भी सजीला कम तो नही , है तेरी भी बात निराली रे। यूँही तोहपे मरती नहीं, तोहरी सजनी दिलवाली रे। रूप है तोहरा बांका छबीला, लूट लियो रे मोहे जालमा। तो संग ....
अपने प्रेम का किस्सा गूंजे, गाँव की हर गलियन में रे। अपने प्रेम की खुशबू महक, बाग़ की हर कलियन में रे। हम दो प्रेमी प्रेम करेंगे, सुख और दुःख हर हालमा। तो संग ....
-सुभाष
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