साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है। - गणेशशंकर विद्यार्थी।
 
मीठी वाणी | बाल कविता (बाल-साहित्य )     
Author:प्रभुदयाल श्रीवास्तव

छत पर आकर बैठा कौवा,
कांव-कांव चिल्लाया ।
मुन्नी को यह स्वर ना भाया,
पत्थर मार भगाया

तभी वहां पर कोयल आई,
कुहू-कुहू चिल्लाई 

उसकी प्यारी-प्यारी बोली,
मुनिया के मन भाई ।

मुन्नी बोली प्यारी कोयल,
रहो हमारे घर में ।
शक्कर से भी ज्यादा मीठा,
स्वाद तुम्हारे स्वर में ।

मीठी बोली वाणी वाले,
सबको सदा सुहाते ।
कर्कश कड़े बोल वाले कब,
दुनिया को हैं भाते !

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

pdayal_shrivastava@yahoo.com

 

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश