जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 
हिंदी ही क्यों? (विविध)     
Author:भारत-दर्शन संकलन

यहाँ "हिंदी ही क्यों ?" विषय पर विभिन्न विद्वानों के मत प्रस्तुत किए जा रहे हैं। हिंदी और अँग्रेज़ी का संघर्ष आज का नहीं परंतु यह समस्या आज भी उतनी ही ज्वलंत है जितनी स्वतंत्रता से पूर्व थी।

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