श्री रामचन्द्र के चौदह वर्ष का बनवास काटकर इसी दिन अयोध्या लौटने के अतिरिक्त भी कई अन्य दंतकथाएं इस त्योहार के साथ जुड़ी हुई हैं।
धर्मराज युधिष्ठर के राजसूर्य यज्ञ की समाप्ति भी इसी दिन हुई थी।
आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था।
जैनियों के चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी को भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था। इसलिए इस त्योहार का अत्याधिक महत्व है।
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