हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
 
शराब (कथा-कहानी)     
Author:अनिल कटोच

"बाबू! कुछ पैसें दे दो।”

".............................. ?

"बाबू! सुबह से रोटी नहीं खाई।"

"मैं भूखा मर जाऊँगा। मुझे कुछ पैसे दे दो।”

"...पर तेरे मुँह से तो शराब की गन्ध आ रही हैं।"

-अनिल कटोच

[फिर सुबह होगी]

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