भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
मैया का आयावृद्धाश्रम से खतकैसे हो बेटा
मना ले आयेनाराज समधी कोमाँ के गहने
बड़े बंगलेहरे भरे गमलेमुरझाई माँ
गटक गईबाबुल की शराबमैया की दवा
थमा जो तूफांबुहारने चली माँरिश्तों से धूल
पड़ी जो डाँटमैं रोया झूठमूठमाँ सचमुच
- अभिषेक जैन
amp-form
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें