तलवार के बल से न कोई भाषा चलाई जा सकती है न मिटाई। - शिवपूजन सहाय।
 
न्यूज़ीलैंड हिंदी पत्रकारिता -बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न | NZ Hindi Journalism FAQ  (विविध)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

न्यूज़ीलैंड हिंदी पत्रकारिता - बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न | NZ Hindi Journalism FAQ

 

न्यूज़ीलैंड में भारतीय पत्रकारिता का आरंभ कब हुआ?

यूँ तो न्यूज़ीलैंड में अनेक पत्र-पत्रिकाएँ समय-समय पर प्रकाशित होती रही हैं, न्यूज़ीलैंड में सबसे पहला प्रकाशित पत्र था 'आर्योदय'। इसके संपादक थे - श्री जे के नातली, उप संपादक थे - श्री पी वी पटेल व प्रकाशक थे -श्री रणछोड़ के पटेल। भारतीयों का यह पहला प्रकाशन एक गुजराती मासिक पत्र था। यह 1921 में प्रकाशित हुआ था परन्तु यह जल्दी ही बंद हो गया।   


न्यूज़ीलैंड में हिंदी पत्रकारिता का आरंभ कब हुआ?

न्यूज़ीलैंड की भारतीय पत्रकारिता में हिंदी का अध्याय 1996 में 'भारत-दर्शन' पत्रिका के प्रकाशन से आरम्भ हुआ। इसके संपादक और प्रकाशक 'रोहित कुमार हैप्पी' हैं। यह पत्रिका बाद में इंटरनेट पर विश्व के पहले हिंदी प्रकाशन के रूप में प्रतिष्ठित हुई।


न्यूज़ीलैंड में हिंदी लेखन कब से हो रहा है?

न्यूज़ीलैंड में हिंदी लेखन 90 के दशक से चल रहा है। 'द इंडियन टाइम्स' में 1992 में हस्तलिखित हिन्दी रिर्पोटों के प्रकाशन से आरम्भ होता है। यह समाचार पत्र मूलत: अँग्रेजी में था लेकिन कुछ समय तक इसमें आंशिक रूप में हिंदी का प्रकाशन हुआ। इस पत्र में 'रोहित कुमार हैप्पी' की हस्तलिखित रिपोर्ट्स देखी जा सकती हैं। इस समाचार पत्र में स्व॰ महेंद्र सी विनोद (जो फीजी के समाचार पत्र शान्ति दूत के संपादक भी रह चुके थे) भी कभी-कभी काका हाथरसी इत्यादि कवियों की कविताएं अपनी हस्तलिपि में भेजते थे।


न्यूज़ीलैंड का सबसे पहला हिंदी प्रकाशन कौन सा था?

1996 में प्रकाशित 'भारत-दर्शन' पत्रिका न्यूज़ीलैंड का सबसे पहला हिंदी प्रकाशन था।


न्यूज़ीलैंड की हिंदी को महत्वपूर्ण देन क्या है?

'भारत-दर्शन' के रूप में न्यूज़ीलैंड ने हिंदी को इंटरनेट पर विश्व का पहला हिंदी प्रकाशन दिया। यदि इंटरनेट पर साहित्यिक पत्रकारिता की चर्चा करें तो यह भी न्यूज़ीलैंड से 'भारत-दर्शन हिंदी साहित्यिक पत्रिका' के रूप में आरंभ हुई। हिंदी की वेब पत्रकारिता भी न्यूज़ीलैंड से भारत गई।

[प्रस्तुति: रोहित कुमार हैप्पी ]

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