जय हिन्दी ! जय देव नागरी ! जय जय भारत माता। ‘तुलसी' 'सूर' और 'मीरा' का जीवन इसमें गाता ॥ नभ से नाद सुनें हिन्दी का, धरती पर हिन्दी हो। भारत माता के माथे पर हिन्दी की बिन्दी हो ॥ यही राष्ट्र भाषा है अपनी, यही राज भाषा है। मातृ प्रेम का मधु है इसमें, सब की अभिलाषा है । जय जय हिन्दी का जयकारा, कोटि कोटि को भाता । जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !! सारी दुनिया ऊंचे स्वर से- जय जय हिन्दी ! गाये । जन जन का मन इस भाषा पर - पूजा फूल चढ़ाये ॥ चलो ! हिमालय की चोटी पर- जय जय हिन्दी गायें । हिन्दी की गंगा हिमगिरि से- दुनिया में लहरायें । हिन्दी भाषा के भारत में, गीत तिरंगा गाता । जय हिन्दी ! जय देवनागरी ! जय जय भारत माता !!
-रघुवीर शरण [1948] [भारत-दर्शन शोध स्वरूप]
[ विशेष: भारत-दर्शन का लुप्तप्राय होती उच्च साहित्यिक रचनाओं को जीवंत रखने का एक प्रयास ]
|