जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

बेरोज़गार मित्र का जवाब

 (काव्य) 
 
रचनाकार:

 शैल चतुर्वेदी | Shail Chaturwedi

हास्य, बेरोज़गार मित्र का जवाब, शैल चतुर्वेदी की हास्य कविता, Hasya Kavita,Shail Chaturvedi

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