जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 

विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे से बातचीत

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

विश्वरंग उत्सव 2020 में पाँच महाद्वीपों के 16 देशों से 1000 से अधिक साहित्यकारों व कलाकारों ने भागीदारी की। कोरोना काल में ऐसा आयोजन अपने आप में एक उपलब्धि है।

2019 में भोपाल में आयोजित पहले विश्वरंग ने ही साहित्य और कला जगत में अपनी जड़ें बड़ी मजबूती से जमा ली थीं। साहित्य व कला के इस विश्वरंग महोत्सव का दूसरा संस्करण इस वर्ष 20 से 29 नवंबर तक ऑनलाइन आयोजित हो रहा है। रबीन्द्रनाथ टैगोर की स्मृति में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय व टैगोर इंटरनेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स एंड कल्चर द्वारा आयोजित यह महोत्सव अनेक चरणों में आयोजित किया गया है। महोत्सव में बच्चों और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बाल साहित्य व शॉर्ट फिल्म को भी जोड़ा गया है।

विश्वरंग के अंतर्गत पूर्वरंग का शुभारंभ विश्वरंग के निदेशक, वरिष्ठ कवि-कथाकार एवं रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे की अध्यक्षता में ऑनलाइन (वर्चुअल प्लेटफार्म) किया गया।
आइए, विश्वभर में साहित्य, संस्कृति और काला की छटा बिखेरने वाले इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव के स्वप्नदृष्टा संतोष चौबे से इसकी चर्चा की जाए।

इस वर्ष के विश्व रंग में 16 देशों के 1000 से भी अधिक साहित्यकार व कलाकार सम्मिलित हुए। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष का कार्यक्रम कैसा रहा है? इस बारे में कुछ बताएं?

जी हां, आपने बिल्कुल सही कहा है। इस वर्ष 16 देशों के 1000 से भी अधिक साहित्यकार व कलाकार सम्मिलित हुए हैं। इसमें 70 से अधिक महत्वपूर्ण सत्रों का ऑनलाइन आयोजन हुआ है।

भविष्य में और अधिक देशों के सम्मिलित होने की संभावना है।

कोरोना के चलते जब पूरे विश्व में तालाबंदी है, आपने ऑनलाइन साहित्य और कला के उत्सव का यह आयोजन किया, इसकी प्रेरणा कहां से मिली?

हमने जब पिछली बार भोपाल में विश्व रंग का आयोजन किया था तो उसमें 30 से अधिक देशों ने भाग लिया था। इस वर्ष क्योंकि करो ना था। उसके चलते सभी देशों से लोगों का यहां आना संभव नहीं था अतः ऑनलाइन आयोजन करने की योजना बनाई गई। और हमें बड़ी प्रसन्नता है की इसमें भारी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कोरोना महामारी से छुटकारे के पश्चात जब परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी उस समय में विश्वरंग की ऑनलाइन उपस्थिति के बारे में आपकी क्या योजना है?

आपने यह बहुत अच्छा प्रश्न किया है। परिस्थितियां सामान्य होने पर भविष्य में भी हम ऑनलाइन कार्यक्रम रखेंगे।

परिस्थितियां सामान्य होने पर हम वास्तविक कार्यक्रम के अतिरिक्त ऑनलाइन कार्यक्रम भी रखेंगे।

इतने बड़े आयोजन में संभवत बहुत सी समस्याएं भी आई होगी, उनके बारे में भी कुछ बताएं?

इस समय में ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजन करने के दौरान हमने बहुत कुछ नया सीखा और किया है। हम चाहेंगे कि भविष्य में और बेहतर रूप से ऑनलाइन उपस्थिति की जाए। हमारे यूट्यूब चैनल में अभी तक 1 मिलियन से अधिक व्यू हो चुके हैं। जो काफी संतोषजनक है।

कला, संस्कृति और साहित्य के ऐसे आयोजन आयोजित करते हुए क्या किसी प्रकार की राजनीतिक समस्याएं भी आती हैं? भारत के इस समय पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण है, ऐसी परिस्थितियों में क्या कलाकारों और साहित्यकारों के आवागमन में किसी प्रकार की बाधा आती है?

देशों के संबंधों का प्रभाव अवश्य पड़ता है, क्योंकि एक दूसरे देश में आने जाने में बाधा उत्पन्न होती है। पिछली बार जब हमने विश्वरंग किया था तो कुछ देशों से जो कलाकार आए थे उनमें कुछ पाकिस्तान मूल से भी संबंध रखते थे। हां, यदि आप पाकिस्तान से भारत आना चाहते हैं भारत से पाकिस्तान जाना चाहते हैं उसमें कुछ बाधा अवश्य आ सकती है। विश्व रंग के ऑनलाइन आयोजनों व कार्यक्रमों में ऐसी कोई बाधा पेश नहीं आती।

इस वर्ष का विश्व रंग पिछले वर्ष की अपेक्षा तुलनात्मक कैसा रहा?

इस वर्ष ऑनलाइन का भव्य आयोजन और उसमें हो रही भागीदारी को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह देश का सबसे बड़ा साहित्य संस्कृति और कला का उत्सव बन गया है। इस बार मध्य प्रदेश के अतिरिक्त अनेक केंद्रीय मंत्रियों ने इसमें सक्रियता दिखाई और हमें अनेक देशों के राजदूतों और उच्चायुक्त का समर्थन मिला है। टैगोर विश्वविद्यालय के अतिरिक्त विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस और अनेक सरकारी विभागों का भी सहयोग मिला है। आईसीसीआर के निदेशक ने तो यहां तक कहा है कि इसे और बढ़ाया जाए।

कुछ देश जो विश्वरंग में सम्मिलित नहीं हो सके, क्या उन्हें भी सम्मिलित करने की योजना है?

बिल्कुल, हम चाहते हैं कि सभी देश जहां भी भारतीय रहते हैं, वे विश्वरंग में सम्मिलित हों। हमारा मुख्य उद्देश्य यही है कि हम सब मिलकर अपनी संस्कृति भाषा व साहित्य का प्रचार-प्रसार करें और इसे आगे बढ़ाएं। विशेष रूप से न्यूज़ीलैंड व अन्य देश भी इसमें सम्मिलित हों। भारत-दर्शन विशेष भूमिका निभा सकता है और हम चाहेंगे कि आपसे मिलकर और अधिक काम किया जाए।

आपकी भावी योजनाएं क्या है?

हमारा प्रयास है कि और लोग भी विश्व रंग से जुड़े। विश्व भर में फैले हुए भारतीय आपसी मतभेद भूलकर विश्वरंग के सहयोगी बने। इस बार हमने हिंदी को केंद्र में रखा है और इसके साथ ही हिंदी की बोलियों पर भी काम किया जा रहा है। हमारी एक यह भी योजना है कि हम एक प्रवासी साहित्य शोध केंद्र अपने विश्वविद्यालय में स्थापित करें जिसमें प्रवासी भारतीयों के साहित्य पर शोध हो। इसके लिए हम जल्द ही काम करेंगे।

--रोहित कुमार ‘हैप्पी'

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