प्रशांत महासागर से घिरा चमचमाती सफ़ेद रेतों से भरा फीजी द्वीप हमारा देखो, कितना प्यारा है! सर्वत्र छाई हरयाली ही हरयाली फल-फूलों से भरी डाली-डाली फसलों से लहराते गन्ने के खेतों में गुणगुनाती मैना प्यारी है लोग यहाँ के कितने प्यारे कभी ‘बुला', कभी ‘राम-राम' कह स्वागत करते हिल-मिलकर एक दूजे का साथ निभाते हँसते-खेलते समय बिताते बहुभाषीय और बहुसांस्कृति का नारा लगाते सच में यह! स्वर्ग बड़ा निराला है जन्म हुआ इस भूमि पर अन्न यही का खाएं हम खेले इसकी गोद में हम अब वतन यही हमारा है फीजी द्वीप हमारा देखो, कितना प्यारा है।
--सुभाशनी लता कुमार |