वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। - मैथिलीशरण गुप्त।
 

अचूक जवाब

 (विविध) 
 
रचनाकार:

 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय | Bharatendu Harishchandra Biography Hindi

एक अमीर से किसी फकीर ने पैसा मांगा। उस अमीर ने फकीर से कहा, "तुम पैसों के बदले लोगों से लियाकत चाहते तो कैसे लायक आदमी हो गये होते।"

फकीर चटपट बोला, "मैं जिसके पास जो कुछ देखता हूँ, वही उससे मांगता हूँ।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

 

 

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