यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है। - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी।
 

हाइकु

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कुछ हाइकु - डॉ विद्या विंदु सिंह

बुलाओ मुझे
पुआल के बिछौने 
सोना चाहूँ मैं।

 

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