बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता। - गोविंद शास्त्री दुगवेकर।
 

हाइकु

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कुछ हाइकु - डॉ विद्या विंदु सिंह

बुलाओ मुझे
पुआल के बिछौने 
सोना चाहूँ मैं।

 

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