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Literature Under This Category | ||||
कबीर दोहे -2 - कबीरदास | Kabirdas | ||||
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रहीम के दोहे - रहीम | ||||
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रहीम के दोहे - 2 - रहीम | ||||
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राजगोपाल सिंह | दोहे - राजगोपाल सिंह | ||||
बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंग |
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दोहे और सोरठे - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय | Bharatendu Harishchandra Biography Hindi | ||||
है इत लाल कपोल ब्रत कठिन प्रेम की चाल। |
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दोहावली - तुलसीदास | Tulsidas | ||||
तुलसीदास कृत 'दोहावली' मुक्तक रचना है। इसमें 573 छंद हैं जिनमें 23 सोरठे व शेष दोहे संगृहित हैं। |
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दोहावली - 1 - तुलसीदास | Tulsidas | ||||
श्रीसीतारामाभ्यां नम: |
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वृन्द के नीति-दोहे - वृन्द | ||||
स्वारथ के सब ही सगे, बिन स्वारथ कोउ नाहिं । |
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निदा फ़ाज़ली के दोहे - निदा फ़ाज़ली | ||||
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान । |
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रामनरेश त्रिपाठी के नीति के दोहे - रामनरेश त्रिपाठी | ||||
विद्या, साहस, धैर्य, बल, पटुता और चरित्र। |
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उपदेश : कबीर के दोहे - कबीरदास | Kabirdas | ||||
कबीर आप ठगाइये, और न ठगिये कोय। |
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सहजो बाई के गुरु पर दोहे - सहजो बाई | ||||
'सहजो' कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाहिं । |
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तुलसीदास के लोकप्रिय दोहे - तुलसीदास | Tulsidas | ||||
काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान। |
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प्रेम पर दोहे - कबीरदास | Kabirdas | ||||
प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। |
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महानगर पर दोहे - राजगोपाल सिंह | ||||
अद्भुत है, अनमोल है, महानगर की भोर |
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कबीर के दोहे | Kabir's Couplets - कबीरदास | Kabirdas | ||||
कबीर के दोहे सर्वाधिक प्रसिद्ध व लोकप्रिय हैं। हम कबीर के अधिक से अधिक दोहों को संकलित करने हेतु प्रयासरत हैं। |
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बिहारी के होली दोहे - बिहारी | Bihari | ||||
होली पर बिहारी के कुछ दोहे |
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कबीर दोहे -3 - कबीरदास | Kabirdas | ||||
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गुरु महिमा - संत पलटूदास | ||||
संत पलटूदास गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहते हैं: |
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माँ पर दोहे | मातृ-दिवस - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
जब तक माँ सिर पै रही बेटा रहा जवान। |
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कबीर दोहे -4 - कबीरदास | Kabirdas | ||||
समझाये समझे नहीं, पर के साथ बिकाय । |
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कबीर दोहे -5 - कबीरदास | Kabirdas | ||||
दया कौन पर कीजिये, का पर निर्दय होय । |
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होली व फाग के दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
भर दीजे गर हो सके, जीवन अंदर रंग। |
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कबीर दोहे -6 - कबीरदास | Kabirdas | ||||
तब लग तारा जगमगे, जब लग उगे न सूर । |
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कुछ दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
आँखों से रूकता नहीं बहता उनके नीर । |
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आज के दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
हमने चुप्पी तान ली, नहीं करेंगे जंग । |
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जीवन और संसार पर दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
आँखों से बहने लगी, गंगा-जमुना साथ । |
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कला कौ अंग | दोहे - प्रो. राजेश कुमार | ||||
लेखक का गुण एक ही करै भँडौती धाय। |
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प्रो. राजेश कुमार के दोहे - प्रो. राजेश कुमार | ||||
नव पल्लव इठलात हैं हर्ष न हिये समात। |
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लोक-नीति पर रहीम के दस दोहे - रहीम | ||||
रहीम के दोहे--सरलार्थ सहित |
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लेखक पर दोहे - प्रो. राजेश कुमार | ||||
लेखक का गुण एक ही करै भँडौती धाय। |
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डॉ सुधेश के दोहे - डॉ सुधेश | ||||
हिन्दी हिन्दी कर रहे 'या-या' करते यार। |
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गोपालदास नीरज के दोहे - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
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रैदास के दोहे - रैदास | Ravidas | ||||
जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। |
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कोरोना पर दोहे - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav | ||||
गली-मुहल्ले चुप सभी, घर-दरवाजे बन्द। |
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दोहे | रसखान के दोहे - रसखान | Raskhan | ||||
प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ। |
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रोहित कुमार 'हैप्पी' के दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
रोहित कुमार 'हैप्पी' के दोहों का संकलन। |
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कबीर के कालजयी दोहे - कबीरदास | Kabirdas | ||||
दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय |
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बिहारी के दोहे | Bihari's Couplets - बिहारी | Bihari | ||||
रीति काल के कवियों में बिहारी सर्वोपरि माने जाते हैं। सतसई बिहारी की प्रमुख रचना हैं। इसमें 713 दोहे हैं। बिहारी के दोहों के संबंध में किसी ने कहा हैः |
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सदुपदेश | दोहे - गयाप्रसाद शुक्ल सनेही | ||||
बात सँभारे बोलिए, समुझि सुठाँव-कुठाँव । |
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दिव्य दोहे - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh | ||||
अपने अपने काम से है सब ही को काम। |
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हिंदी पर दोहे - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | ||||
बाहर से तो पीटते, सब हिंदी का ढोल। |
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डॉ. रामनिवास मानव के दोहे - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav | ||||
डॉ. 'मानव' दोहा, बालकाव्य तथा लघुकथा विधाओं के सुपरिचित राष्ट्रीय हस्ताक्षर हैं तथा विभिन्न विधाओं में लेखन करते हैं। उनके कुछ दोहे यहां दिए जा रहे हैं: |
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पत्रकारिता : तब और अब | डॉ रामनिवास मानव के दोहे - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav | ||||
पत्रकारिता थी कभी, सचमुच मिशन पुनीत। |
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नीरज के लोकप्रिय दोहे - गोपालदास ‘नीरज’ | ||||
गागर में सागर भरे मुँदरी में नवरत्न। |
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