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होरी खेलत हैं गिरधारी।मुरली चंग बजत डफ न्यारो।संग जुबती ब्रजनारी॥
चंदन केसर छिड़कत मोहन अपने हाथ बिहारी।
भरि भरि मूठ गुलाल लाल संग स्यामा प्राण पियारी।गावत चार धमार राग तहं दै दै कल करतारी॥
फाग जु खेलत रसिक सांवरो बाढ्यौ रस ब्रज भारी।मीराकूं प्रभु गिरधर मिलिया मोहनलाल बिहारी॥
- मीरा बाई
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