जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।
मीरा के पद - Meera Ke Pad (काव्य)    Print  
Author:मीराबाई | Meerabai
 

अब तो हरि नाम लौ लागी

सब जग को यह माखनचोर, नाम धर्यो बैरागी।
कहं छोडी वह मोहन मुरली, कहं छोडि सब गोपी।
मूंड मुंडाई डोरी कहं बांधी, माथे मोहन टोपी।
मातु जसुमति माखन कारन, बांध्यो जाको पांव।
स्याम किशोर भये नव गोरा, चैतन्य तांको नांव।
पीताम्बर को भाव दिखावै, कटि कोपीन कसै।
दास भक्त की दासी मीरा, रसना कृष्ण रटे॥

- मीरा

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