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जिंदगी को जिया मैंनेइतना चौकस होकर जैसे कि नींद में भी रहती है सजग चढ़ती उम्र की लड़की कि कहीं उसके पैरों सेचादर न उघड़ जाए।
- अलका सिन्हा
Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand
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