उनका मक़सद था आवाज़ को दबाना अग्नि को बुझाना सुगंध को क़ैद करना
तुम्हारा मक़सद था आवाज़ बुलंद करना अग्नि को हवा देना सुगंध को विस्तार देना
वे कायर थे उन्होंने तुम्हें असमय मारा तुम्हारी राख को ठंडा होने से पहले ही प्रवाहित कर दिया जल में
जल ने अग्नि को और भड़का दिया तुम्हारी आवाज़ शंखनाद में तबदील हो गई कोटि-कोटि जनता की प्राण-वायु हो गए तुम
- राजगोपाल सिंह
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