बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या भजते होते तुमको ऐरे-ग़ैरे नत्थू खैरे - ? सर के बल खड़े हुए होते हिंदी के इतने लेखक-कवि?
बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो लोकमान्य से क्या तुमने लोहा भी कभी लिया होता? दक्खिन में हिंदी चलवाकर लखते हिंदुस्तानी की छवि, बापू, तुम मुर्गी खाते यदि?
बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या अवतार हुए होते कुल के कुल कायथ बनियों के? दुनिया के सबसे बड़े पुरुष आदम, भेड़ों के होते भी! बापू, तुम मुर्गी खाते यदि?
बापू, तुम मुर्गी खाते यदि तो क्या पटेल, राजन, टंडन, गोपालाचारी भी भजते- ?
भजता होता तुमको मैं औ´ मेरी प्यारी अल्लारक्खी !
बापू, तुम मुर्गी खाते यदि !
साभार - संस्मरणों के बीच निराला भारतीत ग्रंथमाला
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