अहिंदी भाषा-भाषी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी-फूटी हिंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं। - अनंतशयनम् आयंगार।
 
जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है | ग़ज़ल  (काव्य)       
Author:डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा'

जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है
यह सवेरा भी क्या सवेरा है

हम उजाले की आस रखते थे
अब अँधेरा अधिक घनेरा है

दैन्य, दुख, दर्द, शोक कुंठाएं
इन सभी ने मनुज को घेरा है

तेरे मेरे का यह विवाद है क्या
कुछ न तेरा यहाँ न मेरा है

उनका आना और आके चल देना
जोगियों की तरह का फेरा है

कोई गुज़रा है चाँद सा जिसने
पथ में आलोक सा बिखेरा है

बच के जाएं तो हम कहाँ 'राणा'
हम को सौ मुश्किलों ने घेरा है

- डा. राणा प्रताप गन्नौरी 'राणा'

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश