हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य है। - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।
 
गधा और मेढक  (कथा-कहानी)       
Author:सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala'

एक गधा लकड़ी का भारी बोझ लिए जा रहा था। वह एक दलदल में गिर गया। वहाँ मेढकों के बीच जा लगा। रेंकता और चिल्‍लाता हुआ वह उस तरह साँसें भरने लगा, जैसे दूसरे ही क्षण मर जाएगा।

आखिर को एक मेढक ने कहा, ''दोस्‍त, जब से तुम इस दलदल में गिरे, ऐसा ढोंग क्‍यों रच रहे हो? मैं हैरत में हूँ, जब से हम यहाँ हैं, अगर तब से तुम होते तो न जाने क्‍या करते?"
हर बात को जहाँ तक हो, सँवारना चाहिए। हमसे भी बुरी हालतवाले दुनिया में हैं।

-सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' 
[सीखभरी कहानियाँ]

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