यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है। - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी।
 
ज़िंदगी (काव्य)       
Author:राजगोपाल सिंह

ज़िंदगी इक ट्रेन है
और ये संसार
भागते हुए चित्रों की
एक एल्बम

- राजगोपाल सिंह

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश