यदि हम अंग्रेजी दूसरी भाषा के समान पढ़ें तो हमारे ज्ञान की अधिक वृद्धि हो सकती है। - जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी।
 
आ: धरती कितना देती है (काव्य)       
Author:सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant
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