बिना मातृभाषा की उन्नति के देश का गौरव कदापि वृद्धि को प्राप्त नहीं हो सकता। - गोविंद शास्त्री दुगवेकर।
 
आ: धरती कितना देती है (काव्य)       
Author:सुमित्रानंदन पंत | Sumitranandan Pant
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