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हमेशा छोटी-छोटीगलतियों से बचनाअच्छा होता है,छोटी-छोटी गलतियोंसे ही इनसानऊँचाइयों को खोता है,इनसान को देखो तोवह पहाड़ से नहींपत्थरों से ठोकर खाता है। जो ठोकर खाकरसँभल जाएवही अपना मुकाम पाता है।
- रमेश पोखरियाल ‘निशंक' [सृजन के बीज]
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