जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
 
अंततः (काव्य)       
Author:जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas

बाहर से लहूलुहान
आया घर
मार डाला गया
अंततः

-जयप्रकाश मानस
[ अबोले के विरुद्ध, शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली ]

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश