भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है। - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी।
 
चंदा मामा  (बाल-साहित्य )       
Author:अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | Ayodhya Singh Upadhyaya Hariaudh

चंदा मामा, दौड़े आओ
दूध कटोरा भरकर लाओ।
उसे प्यार से मुझे पिलाओ
मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ।

मैं तेरा मृग छौना लूँगा
उसके साथ हँसूँ-खेलूँगा।
उसकी उछल-कूद देखूँगा
उसको चाटूँगा, चूमूँगा।

-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

 

Back
 
 
Post Comment
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश