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फ़क़ीराना ठाठ | गीत
आ तुझको दिखाऊँ मैं अपने ठाठ फ़क़ीराना
फाकों से पेट भरना और फिर भी मुसकुराना।
आ तुझको दिखाऊँ मैं--------
मजलिस में जब भी बैठा गाये हैं गीत खुलकर
कह ले मुझे तू पगला या कह ले तू दीवाना।
आ तुझको दिखाऊँ मैं--------
मैं गीत उसके गाऊँ जो दिल में मेरे बसता
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दर्द के बोल
उसको मन की क्या कहता मैं?
अपना भी मन भरा हुआ था।
इसकी-उसकी, ऐसी-वैसी,
जाने क्या-क्या धरा हुआ था!
उसको मन की क्या कहता मैं, अपना भी मन भरा हुआ था!
जब भी घंटी बजे फोन की
भागूँ, मन पर डरा हुआ था।
प्राण निगल गई, ये महामारी
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न्यूज़ीलैंड में हिंदी | क्या आप जानते हैं
न्यूज़ीलैंड में हिंदी : क्या आप जानते हैं?
• हिंदी न्यूज़ीलैंड में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है।
• न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय द्वारा पहला आलेख 1930 में भारत की लोकप्रिय पत्रिका ‘विशाल भारत’ में
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सिना और ईल
बहुत पुरानी बात है। सामोआ द्वीप में सिना नाम की एक खूबसूरत लड़की रहती थी। सिना के घर के पास समुद्र ही समुद्र था। सिना पानी में खूब तैरती और तरह-तरह की जल क्रीडाएं करती। वहीं समुद्र तट के पास रहने वाली एक ईल मछली सिना के साथ-साथ तैरती और खेलती। समय बीतता गया और ईल सिना की बहुत अच्छी दोस्त बन गई। सिना और ईल साथ-साथ तैरती, साथ-साथ खेलती। सिना तैरती हुई जहाँ भी जाती ईल उसके साथ-साथ रहती। ईल अब आकार में बड़ी होती जा रही थी और सिना के प्रति उसका लगाव अब सिना को बंधन सा लगने लगा। सिना ईल से तंग आने लगी।
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हिंदी डे
'देखो, 14 सितम्बर को हिंदी डे है और उस दिन हमें हिंदी लेंगुएज ही यूज़ करनी चाहिए। अंडरस्टैंड?' सरकारी अधिकारी ने आदेश देते हुए कहा।
'यस सर!' कहकर सरकारी बाबू ने भी हामी भरी।
हिंदी-दिवस की तैयारी जोरों पर थी।
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मैं हिंदोस्तान हूँ | लघु-कथा
मैंने बड़ी हैरत से उसे देखा। उसका सारा बदन लहूलुहान था व बदन से मानों आग की लपटें निकल रही थीं। मैंने उत्सुकतावश पूछा, "तुम्हें क्या हुआ है?"
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इश्तहार | लघु-कथा
"मेरा बहुत सा क़ीमती सामान जिसमें शांति, सद्भाव, राष्ट्र-प्रेम, ईमानदारी, सदाचार आदि शामिल हैं - कहीं गुम गया है। जिस किसी सज्जन को यह सामान मिले, कृपया मुझ तक पहुँचाने का कष्ट करे।
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संदेश
मुझे याद है वह संदेश -
'बुरा न सुनो, बुरा न कहो, बुरा न देखो!'
लेकिन...उनके कुकृत्य देख
कैसे अनदेखा करूं?
कोई 'निर्भया' पुकारे
तो
क्या अनसुना करुं?
जब अतिक्रमण हो,
उत्पीड़न हो,
और....
'तुम्हारा कहा' भी गांठ बंधा हो, पर
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जन्म-दिन
यूँ तो जन्म-दिन मैं यूँ भी नहीं मनाता
पर इस बार...
जन्म-दिन बहुत रुलाएगा
जन्म-दिन पर 'माँ' बहुत याद आएगी
चूँकि...
इस बार...
'जन्म-दिन मुबारक' वाली चिरपरिचित आवाज नहीं सुन पाएगी...
पर...जन्म-दिन के आस-पास या शायद उसी रात...
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