Author's Collection
Total Number Of Record :4कलम गहो हाथों में साथी
कलम गहो हाथों में साथी
शस्त्र हजारों छोड़
तूलिका चले, खुले रहस्य तो
धोखों से उद्धार
भेद बताने लगें आसमाँ
जिद्द छोड़ें गद्दार
पड़ाव हर मंजिल के नापें
चट्टानो को तोड़
मोड़ें बादल बिजली का रूख
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लिखना बाकी है
शब्दों के नर्तन से शापित
अंतर्मन शिथिलाया
लिखने को तो बहुत लिखा
पर कुछ लिखना बाकी है
रुग्ण बाग में पंछी घायल
रक्त वमन जब बहता
विभत्स में शृंगार रसों की
लुकाछिपी खेलाई
विद्रोही दिल रोता रहता
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मण्डी बनाया विश्व को
लुढ़कता पत्थर शिखर से, क्यों हमें लुढ़का न देगा ।
क्रेन पर ऊँचा चढ़ा कर, चैन उसकी क्यों तोड़ दी
दर्शन बनाया लोभ का , मझधार नैया छोड़ दी
ऋण-यन्त्र से मन्दी बढ़ी, डॉलर नदी में बह लिया
अर्थ के मैले किनारे, नाच से सम्मोहित किया
बहकता उन्माद सिर पर, क्यों हमें बहका न देगा
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मदिरा ढलने पर | कविता
नजरों से गश आया साकी
मदिरा ढलने पर क्या होगा।
प्यास बुझाने पानी मांगा
अमृत की अब चाह नहीं
नन्हा दीपक साथ मे हो
आवश्यक जगमग राह नहीं
मौत आये यों सजधज कर
फिर र्स्वगलोक मे क्या होगा
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