Author's Collection
Total Number Of Record :7ऐसा वर दो
भगवन् हमको ऐसा वर दो।
जग के सारे सद्गुण भर दो॥
हम फूलों जैसे मुस्कायें,
सब पर प्रेम सुगंध लुटायें,
हम परहित कर खुशी मनायें,
ऐसे भाव हृदय में भर दो।
भगवन् हमको ऐसा वर दो॥
दीपक बनें, लड़े हम तम से,
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पापा, मुझे पतंग दिला दो
पापा, मुझे पतंग दिला दो,
भैया रोज उड़ाते हैं।
मुझे नहीं छूने देते हैं,
दिखला जीभ, चिढ़ाते हैं॥
एक नहीं लेने वाली मैं,
मुझको कई दिलाना जी।
छोटी सी चकरी दिलवाना,
मांझा बड़ा दिलाना जी॥
नारंगी और नीली, पीली
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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की मुकरियाँ
जब भी देखूं, आतप हरता।
मेरे मन में सपने भरता।
जादूगर है, डाले फंदा।
क्या सखि, साजन? ना सखि, चंदा।
लंबा कद है, चिकनी काया।
उसने सब पर रौब जमाया।
पहलवान भी पड़ता ठंडा।
क्या सखि, साजन? ना सखि, डंडा।
उससे सटकर, मैं सुख पाती।
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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की कुण्डलिया
कुण्डलिया
मोती बन जीवन जियो, या बन जाओ सीप।
जीवन उसका ही भला, जो जीता बन दीप।।
जो जीता बन दीप, जगत को जगमग करता।
मोती सी मुस्कान, सभी के मन मे भरता।
‘ठकुरेला’ कविराय, गुणों की पूजा होती।।
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चिड़िया
घर में आती जाती चिड़िया ।
सबके मन को भाती चिड़िया ।।
तिनके लेकर नीड़ बनाती ,
अपना घर परिवार सजाती ,
दाने चुन चुन लाती चिड़िया ।
सबके मन को भाती चिड़िया ।।
सुबह सुबह जल्दी जग जाती ,
मीठे स्वर में गाना गाती ,
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जीवन में नव रंग भरो
सीना ताने खड़ा हिमालय,
कहता कभी न झुकना तुम।
झर झर झर झर बहता निर्झर,
कहता कभी न रुकना तुम॥
नीलगगन में उड़ते पक्षी,
कहते नभ को छूलो तुम।
लगनशील को ही फल मिलता,
इतना कभी न भूलो तुम॥
सन सन चलती हवा झूमकर,
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नई सदी के बच्चे
नई सदी के बच्चे हैं हम
मिलकर साथ चलेंगे।
प्रगति के रथ को हम मिलकर
नई दिशाएं देंगे।
जल, थल, नभ में काम करेंगे
जो चाहें पायेंगे।
सदा राष्ट्र की विजय पताका
मिलकर फहरायेंगे॥
हर कुरीति, हर आडम्बर को
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