Author's Collection
Total Number Of Record :4कुंअर बेचैन ग़ज़ल संग्रह
कुंअर बेचैन ग़ज़ल संग्रह - यहाँ डॉ० कुँअर बेचैन की बेहतरीन ग़ज़लियात संकलित की गई हैं। विश्वास है आपको यह ग़ज़ल-संग्रह पठनीय लगेगा।
...तुम्हारे जिस्म जब-जब | ग़ज़ल
तुम्हारे जिस्म जब-जब धूप में काले पड़े होंगे
हमारी भी ग़ज़ल के पाँव में छाले पड़े होंगे
अगर आँखों पे गहरी नींद के ताले पड़े होंगे
तो कुछ ख़्वाबों को अपनी जान के लाले पड़े होंगे
कि जिन की साज़िशों से अब हमारी जेब ख़ाली है
वो अपने हाथ जेबों में कहीं डाले पड़े होंगे
...
कब निकलेगा देश हमारा
पूछ रहीं सूखी अंतड़ियाँ
चेहरों की चिकनाई से !
कब निकलेगा देश हमारा निर्धनता की खाई से !!
भइया पच्छिम देस गए हो पुरवइया को भूल गए,
हँसते-गाते आँगन की हर ता- थइया को भूल गए,
रामचरितमानस से घर की चौपइया को भूल गए
...
आज जो ऊँचाई पर है...
आज जो ऊँचाई पर है क्या पता कल गिर पड़े
इतना कह के ऊँची शाख़ों से कई फल गिर पड़े
साँस की पायल पहन कर ज़िंदगी निकली तो है
क्या पता कब टूट कर ये उस की पायल गिर परे
ये भी हो सकता है पत्थर फेंकने वालों के साथ
उन का पत्थर ख़ुद उन्हें ही कर के घायल गिर पड़े
...