उस खुदा का नहीं कानून समझते हैं वे मुझको हँसने का ही मजमून समझते हैं वे। ‘बेधड़क' क्या करूं मैं उनको दिखाकर सूरत मेरी फोटो को भी कार्टून समझते हैं वे।
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देखिए, यह सीन कितना ग्रैंड है देह है या साइकिल का स्टैंड है। हो भले सूरत हमारी ‘इंडियन,' दिल हमारा मेड इन इंग्लैंड है।
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वह जमाने के बराबर हो गयीं पालकी से आज मोटर हो गयीं । ‘बेधड़क' वालंटियर ही रह गये श्रीमती जी किंतु लीडर हो गयीं ।
- बेधड़क बनारसी
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