अफसर ने अफसरी छांटते हुए ऑफिस के क्लर्क को डांटते हुए कहा- बहुत हो गया कितनी छुट्टियां ले चुके हो? दो बार विदाउट पे हो चुके हो कभी ससुराल जाना कभी बच्चे को स्कूल में भर्ती कराना कभी मां बीमार कभी साले की सगाई कभी साली की गोद-भराई न जाने कैसे-कैसे बहाने बनाते हो! महीने में पंद्रह दिन ऑफिस आते हो क्लर्क को कोई फर्क नहीं पड़ा बेशर्मी से मुस्कुराकर बोल पड़ा सर! एक बार और छुट्टी दे दीजिए आप तो दयालु हैं कृपा कीजिए आगे से छुट्टी पर नहीं जाऊंगा दरअसल सरकारी नौकरी वालों को शादी जल्दी हो जाती है यहां आपका हुक्म चलता है वो घर पर चलाती है यहां आपके अंडर में रहता हूं वहां उसके अंडर में रहता है इसलिए तो मैं कुंवारों से कहता हूं अपने हाथों अपनी जिंदगी तबाह मत करना कोई कितना भी लालच क्यों ना दे मगर भूलकर भी जा तुम शादी मत करना।
- गौरीशंकर 'मधुकर' [हास्य-व्यंग्य काव्य-संग्रह]
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