तुम मेरे आंसू की बूंद बनो लेकिन पलकों से बाहर मत आना!
ये पवन चुरा ले जायेगी तुमको, ये गरम किरन झुलसायेगी तुमको! यदि देख लिया पूनम के चन्दा ने, डर है कि नज़र लग जायेगी तुमको! छिपकर रहना दुनिया की आँखों से, कलियों की जादूवाली पाँखों से! तुम मेरे प्राणों का गीत बनो लेकिन अधरों की सीमा अपनाना! इम मेरे आंसू की बूंद बनो लेकिन पलकों से बाद्दर मत आना!!
जो दर्द रहा मन में हल्का हल्का, केवल वह ही आँसू बन कर ढलका! उतने ही कम तूफान उमड़ते हैं, सागर जितना भी हो गहरे जल का! जो सुलग सुलग ही रह जाये मन में, वह आग, राग बनती है जीवन में! तुम मेरे गीतों का दर्द बनो पर स्वर के पंख लगा मत उड़ जाना! तुम मेरे आँसू की बूंद बनो लेकिन पलकों से बाहर मत आना !!
हर खिले फूल को तोड़ा माली ने, बींधा, बेचा कब देखा डाली ने! पूनम जो निखरी मधु-मुसकानों सी, खा लिया उसे तम की कंगाली ने! खिलने का अर्थ यहाँ मुरझाना है, हँसना आहों को छेड़ जगाना है! तुम मेरे मन का मधुमास बनो कोयल कितना भी कहे, न मुसकाना! तुम मेरे आँसू की बूंद बनो लेकिन पलकों से बाहर मत आना !!
जिसको जग ने दुख कह कर माना है, वह सुख का बे-पर्दा हो आना है! धरती का जलना और सुलगना ही, बूंदों वाले बादल का आना है! वह सत्य न जिसको देख सका कोई, हर चित्र ओढ़ता रंग-वाली लोई! तुम मेरी झोली के रतन बनो पर अपना पता न जगको बतलाना! तुम मेरे ओंसू की बूंद बनो लेकिन अधरों से बाहर मत आना !!
- भारत भूषण |