हम बच्चे हैं छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े । आसमान का चाँद हमी ने थाली बीच उतारा है, आसमान का सतरंगा वह बाँका धनुष हमारा है । आसमान के तारों में वे तीर हमारे गड़े-गड़े । हम बच्चे हैं छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े । भरत रूप में हमने ही तो दांत गिने थे शेरों के, और राम बन दांत किये थे खट्टे असुर-लुटेरों के । कृष्ण-कन्हैया बन कर हमने नाग नथा था खड़े- खड़े । हम बच्चे हैं छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े ।। बापू ने जब बिगुल बजाया देश जगा, हम भी जागे, आजादी के महायुद्ध में हम सब थे आगे-आगे । इस झंडे की खातिर हमने कष्ट सहे थे कड़े-कड़े । हम बच्चे है छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े ।। हर परेड गणतंत्र दिवस की हम बच्चों से सजती है, वीर बालकों. की झांकी पर खूब तालियां बजती हैं । पाते जन गण मन का आशिष हाथी पर हम चढ़े-चढ़े । हम बच्चे हैं छोटे-छोटे, काम हमारे बड़े-बड़े ।।
- चिरंजीत
[100 श्रेष्ठ बालगीत, गीतांजलि प्रकाशन] |