क्या संसार में कहीं का भी आप एक दृष्टांत उद्धृत कर सकते हैं जहाँ बालकों की शिक्षा विदेशी भाषाओं द्वारा होती हो। - डॉ. श्यामसुंदर दास।
पैरोडीदास का गीत (काव्य)  Click to print this content  
Author:पैरोडीदास

सरल है बहुत चांद-सा मुख छिपाना, 
मगर चाँद सिर की छिपाना कठिन है।

अगर नौकरी या कि धंधा मिला हो, 
कि पह‌ना हुआ सूट बड़िया सिला हो। 
सरल है बहुत ब्याह करना किसी से, 
मगर ब्याह कर के निभाना कठिन है।

अगर सीनियर है सभी से बनी है, 
जरा मेहनती, भाग्य के भी धनी है, 
सरल है बहुत अफसरी किन्तु घर में--
तनिक अफसरीयत जतना कठिन है।

सभी लोग सच्चे दया-धर्म वाले, 
कि ईमान वाले हया-शर्म वाले, 
सरल नेक बनना व नेकी चुकाना, 
मगर कर्ज लेकर चुकाना कठिन है।

अगर है इकन्नी लिया एक सिगरिट, 
बचा जो अधन्ना लिया पान झटपट, 
सरल है रईसी दिखाना अकड़ना, 
मगर जेब खाली छिपाना कठिन है।

सरल है बहुत चाँद-सा मुख छिपाना, 
मगर चाँद सिर की छिपाना कठिन है।

-पैरोडीदास

Previous Page  |  Index Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश