जननी हूँ जीवन भी मैं, जज्बातों पर मेरा जोर नहीं। सशक्त हूँ, व साकार भी हूँ मैं नारी हूँ, कमजोर नहीं। दरपन हूँ व अक्स भी मैं, झुका सके मुझे इतना कोई सशक्त नहीं स्वाभिमानी हूँ, व आत्म निर्भर भी मैं। टूट के बिखरूं अब वो वक्त नहीं, नहीं समझना आधी-अधूरी नहीं अधूरी मैं खुद में हूँ पूरी। साथ चलना हो तो हाथ बढ़ाना, पीछे हटना मुझे मंजूर नहीं।
- सोनाली सिंह पटना, बिहार, भारत |