मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
चमकता रहूँ माँ (काव्य)  Click to print this content  
Author:नरेन्द्र कुमार

चरणों की धूल, माथे पर लगाकर 
तेरी पूजा करूं मैं जिंदगी भर 
आंचल की छांव में आशीष पाकर
चमकता रहूं माँ जगमगाकर 
पालन पोषण का उपहार पाकर
समाऊं धरा में जग महकाकर 
एक फूल तेरे चरणों में सजाकर 
पूजा करूं माँ शीश झुकाकर 
चरणों की धूल माथे पर लगाकर
नमन करूं माँ शीश नवाकर

-नरेन्द्र कुमार
पंतनगर उत्तराखण्ड
ई-मेल :   narendraku155196@gmail.com

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