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हाँ! यह कैसी लाचारी भेड़ है जनता बेचारी सहना इसकी आदत है--मुड़ती वहाँ, जहाँ जाती!
अनुशासन में पलती है, झुंड बनाकर चलती है, गड्डा है या खाई है--इसको नजर नहीं आती!
आखिर यह कब चेतेगी, और लीक यह टूटेगी, राजभवन कुरसी सत्ता सब इसकी ही है थाती !
-अश्वघोष
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