मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
जिंदगी इक सफ़र है | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:निज़ाम-फतेहपुरी

जिंदगी इक सफ़र है नहीं और कुछ
मौत के डर से डर है नहीं और कुछ

तेरी दौलत महल तेरा धोका है सब
क़ब्र ही असली घर है नहीं और कुछ

प्यार से प्यार है प्यार ही बंदगी।
प्यार से बढ़के ज़र है नहीं और कुछ

नफ़रतों से हुआ कुछ न हासिल कभी
ग़म इधर जो उधर है नहीं और कुछ

जो भी घटता यहाँ अब वो छपता कहाँ
सिर्फ झूठी ख़बर है नहीं और कुछ

बोलते सच जो थे क्यों वो ख़ामोश हैं
ख़ौफ़ का ये असर है नहीं और कुछ

जो गधे को भी घोड़ा कहेगा निज़ाम
अब उसी की क़दर है नहीं और कुछ

निज़ाम-फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश