आँखें देखकर
ये आँखें हैं तुम्हारी तकलीफ़ का उमड़ता हुआ समुन्दर इस दुनिया को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिए।
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उनका डर
वे डरते हैं किस चीज से डरते हैं वे तमाम धन-दौलत गोला-बारूद पुलिस - फ़ौज के बावजूद ? वे डरते हैं कि एक दिन निहत्थे और ग़रीब लोग उनसे डरना बंद कर देंगे।
- गोरख पांडेय |