हिंदुस्तान को छोड़कर दूसरे मध्य देशों में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है, जहाँ कोई राष्ट्रभाषा नहीं हो। - सैयद अमीर अली मीर।
आग का आविष्कारक  (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार ‘हैप्पी'

[ न्यूज़ीलैंड की लोक कथा ]

बहुत पहले की बात है। उस समय लोगों को आग जलाना नहीं आता था। यह माउइ था जिसने मनुष्य जाति को आग जलाने का उपाय बताया था।

माउइ ने निश्चय किया कि वह धरती के भीतर जाकर आग का पता लगाएगा। पृथ्वी में एक सूराख करके वह भीतर घुसा और अग्नि की माँ माफुइक से मिला। उसने उससे एक चिनगारी मांगी। अग्नि की माँ ने अपनी अंगुलियों के जलते नख में से एक नख उसे दे दिया।

माउइ उस नख को लेकर जब कुछ दूर चला गया तो उसने सोचा, यह तो आग है। उसने आग उत्पन्न करने की विधि तो बताई ही नहीं। यह सोचते ही उसने आग को नदी में फेंक दिया। वह लौटकर फिर अग्नि की माँ के पास गया और चिनगारी ली। इस प्रकार वह नौ बार आग लाया और नदी में फेंकता गया। दसवीं बार जब वह गया तो अग्नि की माँ बहुत ही क्रोधित हुईं। उसने अपनी अंगुली का दसवां नख उस पर फेंका।

जंगल के वृक्ष, घास इत्यादि जलने लगे। जब आग बहुत भयंकर हो गई तो माउइ ने वर्षा के लिए प्रार्थना की। शीघ्र ही वर्षा होने लगी जिससे आग बुझ गई। अग्नि को बुझते देखकर उसकी माँ ने कुछ चिनगारियों को वृक्षों में छिपा दिया। तभी से वृक्षों में आग छिपी हुई है। और इस प्रकार बाद में मनुष्य जान गया है कि किस प्रकार दो लकड़ियों को आपस में रगड़ने से आग उत्पन्न हो जाती है।

भावानुवाद : रोहित कुमार 'हैप्पी'
न्यूज़ीलैंड

 

Previous Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश